ख़िताब
शायर का ये जो, ख़िताब है !
मेरे उस्ताद मेरे हालात हैं !
तालीम से रहा महरूम !
गम बेहिसाब है !
गमों ने ही नवाजा ये ख़िताब है !
तजुर्बा ए दौलत बेशुमार है !
दर्द ने दी अल्फाजों को धार है !
तालीम से महरूम जिंदगी !
एक यही बदनुमा दाग है !
तजुर्बो से हासिल ये ख़िताब है !
कलम में अटकी ये सांस है !
मेरा क्या वजूद, हम तो खाक हैं !
मुकद्दर ने छीना हर ख़्वाब है !
खाक ही मेरी अब पहचान है !
खाक से ही रोशन ये ख़िताब है !
तालीम ए डिग्री न मेरे पास है !
शायरों के जैसी कहाँ औक़ात है !
हम हुए मरहूम ये कलमे सांस है !
गजलें खुशबू से महका श्मशान है !
कलम ने ही तराशा ये ख़िताब है !
तीरगी का देखो, क्या कमाल है !
तीरगी से रोशन, ये जहान है !
मेरा गम मेरे अश्क मेरा दर्द !
ये हसीन नायाब सौगात है !
इन्हीं के सुपुर्द ये ख़िताब है !
मेरी खाक से बना ये मकान है !
गम, अश्क, दर्द इसकी शान है !
ये मोहब्बत, ये दाद, गजलें जान है !
अधूरे शायर का सबको सलाम है !
ये मोहब्बतें ही मेरा ये ख़िताब है !
विपिन बंसल
Aliya khan
02-Oct-2021 01:20 AM
Wah सुन्दर वर्णन
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🤫
29-Sep-2021 11:37 PM
शानदार....👍
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