Vipin Bansal

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ख़िताब

शायर का ये जो, ख़िताब है ! 

मेरे उस्ताद मेरे हालात हैं !
तालीम से रहा महरूम ! 
गम बेहिसाब है !
गमों ने ही नवाजा ये ख़िताब है !

तजुर्बा ए दौलत बेशुमार है ! 
दर्द ने दी अल्फाजों को धार है !
तालीम से महरूम जिंदगी ! 
एक यही बदनुमा दाग है !
तजुर्बो से हासिल ये ख़िताब है ! 

कलम में अटकी ये सांस है ! 
मेरा क्या वजूद, हम तो खाक हैं !
मुकद्दर ने छीना हर ख़्वाब है ! 
खाक ही मेरी अब पहचान है !
खाक से ही रोशन ये ख़िताब है ! 

तालीम ए डिग्री न मेरे पास है ! 
शायरों के जैसी कहाँ औक़ात है !
हम हुए मरहूम ये कलमे सांस है ! 
गजलें खुशबू से महका श्मशान है !
कलम ने ही तराशा ये ख़िताब है ! 

तीरगी का देखो, क्या कमाल है ! 
तीरगी से रोशन, ये जहान है !
मेरा गम मेरे अश्क मेरा दर्द ! 
ये हसीन नायाब सौगात है !
इन्हीं के सुपुर्द ये ख़िताब है ! 

मेरी खाक से बना ये मकान है ! 
गम, अश्क, दर्द इसकी शान है !
ये मोहब्बत, ये दाद, गजलें जान है ! 
अधूरे शायर का सबको सलाम है !
ये मोहब्बतें ही मेरा ये ख़िताब है ! 

             विपिन बंसल

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2 Comments

Aliya khan

02-Oct-2021 01:20 AM

Wah सुन्दर वर्णन

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🤫

29-Sep-2021 11:37 PM

शानदार....👍

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