Harsh jain

Add To collaction

तलाश




बडा़ ढूंढा तलाशा भी होके पागल जहाँ भर मे! 
मिला कब है नही था जो हमारे इस मुक्कदर मे! 

ख्वाबो मे तो आती हो हकीकत मे भी आ जाऔ! 
कमी तेरी ही बाकी है मेरे आंगन मेरे घर मे!! 


             हर्ष जैन सहर्ष

   7
4 Comments

Shalini Sharma

05-Oct-2021 04:02 PM

Nice

Reply

Fiza Tanvi

04-Oct-2021 11:23 AM

Good

Reply

🤫

01-Oct-2021 07:29 PM

नाइस..👌

Reply