Sarfaraz

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ग़ज़ल

🌹🌹🌹 ग़ज़ल 🌹🌹🌹

यूँ  हैं  ज़िन्दा  तमाशबीन में हम।
साँप  रखते  हैं  आस्तीन में हम।

तेरे      जैसे     हज़ार     नाचेंगे।
फूँक मारें जोअपनी बीन में हम।

देख   कर   ह़रकतें  सनम  तेरी।
गड़  गए  शर्म  से ज़मीन में हम।

देख  ली  उसकी हर अदा हम'ने।
और  क्या देखें हमनशीन में हम।

इस तरफ़ भी तो देखिए दिलबर।
कब  से  बैठे  हैं  ज़ाइरीन में हम।

तेरे  आने   का  था  यक़ीं हमको।
सो  न  पाए  इसी  यक़ीन में हम।

होते -  होते  ही  काम  होगा  जी।
घुस तो सकते नहीं मशीन में हम।

करतबी लोग हैं 'फ़राज़ आख़िर।
कैसे शामिल हों नाज़रीन में हम।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ उ0  प्र0।

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4 Comments

kashish

03-Jul-2023 04:20 PM

good

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लाजवाब ग़ज़ल

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बहुत खूब

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Sarfaraz

20-Jun-2023 12:22 PM

Shukriya

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