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लौ

अंधियारी गहराती रातें,

आशा दीप जलाए रखना।
आएगी फिर भोर सुनहरी,
हौसला तू बनाए रखना।

पथरीली डग कांटे होंगे,
मंजिल भी नजर न आए तो।
राही घबरा कर मत रुकना,
आगे कदम बढ़ाए रखना।

सूरज ना राहें रोशन हों,
चांद छिपा जलद आगोश में।
भूल न जाना जुगनू जगमग,
पथ में चमक बनाए रखना।

संझा चादर काली-काली,
झिलमिल तारे उम्मीद टंके।
आस प्रदीप्त अनिल बुझाए,
अंतस लौ सुलगाए रखना।

नई सुबह पाने की आशा,
सफर यामिनी करना ही है।
रातों से उम्मीद है कायम,
नव उमंग संजोए रखना।

लौ दीप्ति उम्मीद बढ़ाए,
शब भी रोशन हो जाती है।
नागिन सी सड़कों पर चलकर,
फन पर नजर टिकाए रखना।

अर्जुन जैसी लक्ष्य साधना,
मीन अक्षि नजर आ जाएगी।
भ्रमित करेगा चक्र घूम कर, 
"श्री"मन लगन लगाए रखना।

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)

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8 Comments

Varsha_Upadhyay

07-Jul-2023 09:07 AM

बहुत खूब

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सुन्दर सृजन

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Reena yadav

06-Jul-2023 07:36 PM

👍👍

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