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दिल-ए नादा तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है।
 बड़ा है मर्ज तेरा सोच दवा क्या है।।

 जिन्होंने लूट लिया अस्मतों को मंदिर में ,
उस नापाक जुर्म की सजा क्या है।

 माँ ने हर बार बचाया मुझे मुसीबत से,
 हमने भी जान लिया आज दुआ क्या है।

 अंजाम जिंदगी का सदा मौत ही है ,
आखिर इस बात में नया क्या है।

 दाग चेहरे के हटे मन के नहीं,
 देख इक बार रूह पर लगा क्या है।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।

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2 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति और खूबसूरत भाव

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Varsha_Upadhyay

22-Jul-2023 07:04 PM

बहुत खूब

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