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ख्वाहिशें

ख्वाहिशें ना पाल ए नादान दिल।

ख्वाहिशें पूरी नहीं होती कभी।

गुजर जाता है वक्त पहरो पहर।
सहर-ए-तवक्को नहीं होती कभी।

आरजू पतंगा शमा की चाहतें।
बसर उम्मीदें नहीं होती कभी।

ख्वाब की महफिल सजाए तमन्ना।
तन्हाई जुदा नहीं होती कभी।

बेवफाई याद ये रुसवाइयाँ।
दर्द-ए-जफा नहीं होती कभी।

वहकता साकी रक्कासा-ए-अश्क। 
दर्द-ए-दास्तान नहीं होती कभी।

भीड़ कोठे की बढ़ी है शहर में।
फिर शराफत कम नहीं होती कभी।

जिंदगी उम्मीद-ए-गुजर जाएगी।
ख्वाहिशें धुंआ नहीं होती कभी।

मौत पर भारी उम्मीदें "श्री" यहाँ।
तमन्नाएँ हयात नहीं होती कभी।

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)


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5 Comments

Gunjan Kamal

27-Jul-2023 11:31 AM

👌👏

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Abhinav ji

27-Jul-2023 08:54 AM

Very nice 👍

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सुन्दर सृजन

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