आज़ादी
आज़ादी
*आज़ादी*(दोहा ग़ज़ल)
आज़ादी का जश्न ये,देता खुशी अपार,
बड़े त्याग-तप से मिला,यह अनुपम उपहार।।
सदियों रही गुलाम यह,अपनी भारत-भूमि,
किंतु लाल इस भूमि के,ऋण को दिए उतार।।
भगा शत्रु-दल छोड़कर,भारत को तत्काल,
देख वीरता और सुन,लालों की ललकार।।
रहा लक्ष्य यद्यपि कठिन,और कठिन थी राह,
फिर भी प्रबल हुलास से,हुआ स्वप्न साकार।।
आज़ादी का फल मधुर,मधुर उमंग-उछाह,
मधुर स्वाद इसका मिला,इसका है आभार।।
आओ मिलकर हम सभी,करें इसे मजबूत,
प्रेम-भाव-सौहार्द ही,है इसका आधार ।।
आज़ादी-पंछी उड़े,सदा गगन आज़ाद,
रखें सुरक्षित हम इसे,करे न दुश्मन वार।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372