दरिया
देखो कि तलातुम के, आगोश में दरिया है।
सहरा न मचल जाए, कब होश में दरिया है।
इक बूँद जहां सुख है, तुम भूल के बैठे हो,
खुदगर्ज जहां लेकिन, उम्मीद में दरिया है।
किरदार अदा करते, स्टेज के पुतले हैं,
गुमराह हुए हैं हम, बहके यहाँ दरिया है।
शव किसका यहाँ रोए, कोई न नज़र आए,
सब कुछ बहा ले जाए, तूफान में दरिया है।
खुशबू की तमन्ना में, गुलशन में आ के भटका,
कांटों में उलझ रोए, खारा हुआ दरिया है।
आसान सफर कब था, तन्हा था जहाँ तक मैं,
राहों में मिले जब तुम, मदहोश ये दरिया है।
बारिश में महक सौंधी, बूँदों की गुफ्तगू है,
खुश ताल मचलता है, "श्री" मौज में दरिया है।
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Shashank मणि Yadava 'सनम'
18-Sep-2023 07:45 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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Sarita Shrivastava "Shri"
18-Sep-2023 07:20 PM
🙏🙏
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Varsha_Upadhyay
17-Sep-2023 07:27 PM
Nice 👌
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Sarita Shrivastava "Shri"
18-Sep-2023 07:20 PM
🙏🙏
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Reena yadav
17-Sep-2023 06:35 PM
👍👍
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Sarita Shrivastava "Shri"
17-Sep-2023 07:10 PM
🙏🙏
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