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तीज




दोहा ग़ज़ल(तीज-पर्व)
    *दोहा ग़ज़ल*(तीज के शुभ पर्व पर)
सदा सुहागन मैं रहूँ,दाता करूँ पुकार।
हृदय बसें प्रीतम लिए,सतत प्रेम की धार।।

बिना पुरुष नारी लगे,जैसे तन बिन प्राण।
पति-पत्नी का प्रेम ही,देता खुशी अपार।।

पति रहता यदि भास्कर,पत्नी किरण समान।
किरण सूर्य के तेज का,करती सतत प्रसार।।

बनी सुहागन मैं रहूँ,भरे माँग सिंदूर।
पिया-प्रेम में रम रहूँ,कर श्रृंगार-पटार।।

प्रीतम के मन-बाग में,करूँ भ्रमण दिन-रैन।
पुष्प-गंध की भाँति मैं, महकूँ बारम्बार। 

प्रभु ऐसा वरदान दो,अचल रहे अहिवात।
बुझे न दीया प्रीति का,सदा रहे उजियार।।

जीवन-रथ के चक्र दो,स्त्री-पुरुष प्रधान।
प्रेम-धुरी से जुड़ सदा,करते बेड़ा पार।।
        ©डॉ0 हरि नाथ मिश्र
              ९९१९४४६३७२



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3 Comments

Varsha_Upadhyay

19-Sep-2023 07:12 PM

Nice

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खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति बेहतरीन

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Reena yadav

18-Sep-2023 05:12 PM

👍👍

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