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दोहा ग़ज़ल(तीज-पर्व) *दोहा ग़ज़ल*(तीज के शुभ पर्व पर) सदा सुहागन मैं रहूँ,दाता करूँ पुकार। हृदय बसें प्रीतम लिए,सतत प्रेम की धार।। बिना पुरुष नारी लगे,जैसे तन बिन प्राण। पति-पत्नी ...