Yusuf

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पुरुष


#पुरुषों को 
     लिखा ही नहीं 
     ❤️🫠❤️

स्त्रियों को जब भी लिखा गया
तो लिखा त्याग, समर्पण,ममता
लिखा भावनाएं, संवेदनाएं 
पुरुषों पर कलम कम ही चली
और चली तो जिम्मेदारियां ही लिखी

असल में पुरुषों को लिखा ही नहीं गया
उनके मातृत्व तक कोई नहीं गया
किसी ने उनकी आखों को पढ़ा ही नहीं 
कोई शब्द उनके लिए गढ़ा ही नहीं 

नहीं देखे, आखों के कोर भीगे हुए
ना ही देखा छोटी की चोटियां गूंथते हुए
पराठा टेड़ा ही सही पर बेलते हुए
और बालकनी में कपड़े सुखाते हुए

अदरक वाली चाय खौलाते हुए
और राजमा छोले भी बनाते हुए
डॉक्टरों की लंबी सी कतार में लगे
बच्चे का सर बार, बार सहलाते हुए

काश,पुरुषों के अलग अलग रूपो को लिखा जाता
उन्हे जिम्मेदारियों से परे समझा जाता
उनके दिल तक भी कोई गया होता
तो पता चलता भावनाएं का अथाह सागर
और संग जिमेदारियो का भी महा सागर..

 ✍️ 

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8 Comments

Tabassum

13-Oct-2023 12:16 AM

👍👍

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Gunjan Kamal

10-Oct-2023 10:24 AM

👏👌

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बेहतरीन अभिव्यक्ति और खूबसूरत भाव

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