कन्यादान
कन्यादान
ये कैसा दान?
नजरें झुकी हैं दानी की,
याचक सीना ताने खड़ा!!
अद्वितीय अमूल्य दान,
नहीं कद्र इस दान की!
बिन खाए खर्चे, पाई-पाई जोड़े!
कर्ज के बोझ तले तात दबे!
घर की चहकती रौनक,
पिता की आँख का नूर।
किसी ने साधिकार छीना।
पिता के आँगन की किलकारी,
पति आँगन की चीख!!
सर्वप्रथम चूल्हा पूजन!
हुई रस्म आराम कहाँ??
थामे हाथ कभी झाड़न!!
कभी हाथ में पोंछन!!
भोर 5 बजे निंदिया को त्यागे!!
रात 11 तक एक पैर पर नाचे!
चक्कर घिन्नी!!
पति का टिफिन, ननद के नखरे!!
देवर की फरमाइश,
सास की कटुता भरी डांट,
ताना मां ने कुछ नहीं सिखाया!!
ससुर की दवाइयां, देखभाल।
घर की चार दीवारी की चमक बरकरार।
वर्ना कुलक्षिणी!!
सबकुछ उसके जिम्मे!!!
सिवाय सास की कमर में लटकती,
तिजोरी की चाबी, गहने, सोना-चांदी,
रुपया-पैसा और ससुर की जायदाद!!
पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरण!!!
अरे भाई!! वह स्वर्ण लक्ष्मी नहीं!!
सिर्फ गृहलक्ष्मी है!!
365 दिन लगातार बिना तनख्वाह।
बिना किसी छुट्टी के काम करने वाली,
सास-ससुर की चहेती, पति प्रिया,
कर्तव्य और समाज के नियमों में!
बांधकर ठगी जाने वाली गूंगी!!
नौकरानी!!!
मुंह खुला गर हक मांग लिया तो!!
बेशर्म, बेहया, कुलक्षिणी, कुलहन्ता,
नाम डुबोने वाली, कुलनाशिनी!!!
बस मुँह से एक जम्हाई, तलाक,
घर से बाहर तक नौबत आई!!
कन्यादान का खेल खत्म!!
पिता की गाढ़ी कमाई पर वज्रपात!!
बेटी की खुशियों पर घात!!
फिर भी दोषी सिर्फ कन्या???
उसका घर तो था ही नहीं!!
घर पति "श्री" पति परमेश्वर का!!
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
hema mohril
11-Oct-2023 03:07 PM
Awesome
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
11-Oct-2023 08:44 AM
वास्तविक और यथार्थ चित्रण
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
11-Oct-2023 08:44 AM
मार्मिक अभिव्यक्ति
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