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कन्यादान ये कैसा दान? नजरें झुकी हैं दानी की, याचक सीना ताने खड़ा!! अद्वितीय अमूल्य दान, नहीं कद्र इस दान की! बिन खाए खर्चे, पाई-पाई जोड़े! कर्ज के बोझ तले तात ...