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लक्ष्यतक





.........लक्ष्यतक.........

मजबूत इरादों की मंजिल से ही
पहुंचा जा सकता है मुकाम तक
सोच की मुट्ठी मे भरी बालू तो
फिसलकर गिर ही जाती है

बेशक ,चमकती है बालू बहुत
मगर उसमे मोती कहीं नहीं होते
तपती हुई रेत के सिवा
सागर की गहराई खंगालनी ही पड़ती है

वीरों के इतिहास पढ़कर ही
पौरुष जागृत नही होता
खुद के भीतर भी
पुरुषत्व को जगाना पड़ता है

हो सकते हैं रास्ते कठिन मुकाम के
किंतु दुर्गम कभी नही होते
परिस्थितियां सदा अनुकूल नहीं रहती
वक्त को अनुकूल बनाना पड़ता है

सहज ही होती अगर कामयाबी
तो असफलता का नाम ही नहीं होता
दृढ़ संकल्प के साथ प्रयास ही
पहुंचा पाते हैं लक्ष्य तक
.......................
मोहन तिवारी,मुंबई





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3 Comments

Rupesh Kumar

11-Dec-2023 06:53 PM

शानदार

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Gunjan Kamal

08-Dec-2023 08:16 PM

👌👏

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Varsha_Upadhyay

04-Dec-2023 09:18 PM

Nice

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