लक्ष्यतक

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.........लक्ष्यतक......... मजबूत इरादों की मंजिल से ही पहुंचा जा सकता है मुकाम तक सोच की मुट्ठी मे भरी बालू तो फिसलकर गिर ही जाती है बेशक ,चमकती है बालू बहुत मगर ...

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