Bholesh Shukla

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माँ

चल सकता हूँ इस दुनियां की आग में,
यहाँ इतना धुँआ नहीं है।
और जब जब हाथ रखा है माँ ने सिर पे,
मुझे किसी भी मुसीबत ने छुआ नहीं है।।

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