तितली
तितली
उड़ती है तितली, फूलों की बाग़ में,
रंग-बिरंगे पंखों से, खुद को भरती है।
मधुमक्खी की तरह, फूलों पर वो बैठती है,
मधुर सुरों में, खुद को खो जाती है।
चमकती है तितली, सूरज की किरणों में,
जैसे खिलती है, खुशियों की धार में।
फूलों को छूकर, मधुरता बरसाती है,
अपनी खुशबू से, दिल को भर जाती है।
खेलती है तितली, खुद को आकारती है,
फूलों के संगीत में, नृत्य करती है।
उड़ती है ऊँचाईयों में, ख्वाबों की ओर,
खुद को खो जाती है, खुशियों की दौड़ में।
तितली की आज़ादी, हमें सिखाती है,
खुद को छोड़कर, दूसरो के लिए जीना।
एहसास ये अनमोल है, इस का मोल नहीं
दूसरो के लिए जीना , ही सच्ची जिंदगी को डोर है।
Gunjan Kamal
31-Dec-2023 11:11 AM
👏👌
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Reyaan
30-Dec-2023 11:20 AM
Nyc
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Shnaya
30-Dec-2023 10:32 AM
Nice one
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