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नववर्ष

ज्योत्सना सा हर आंगन में, छाया है नववर्ष।

चारों ओर उल्लास मय है, धरती का उत्कर्ष।

बच्चे बूढ़े झूम रहे सब, उम्मीदों का थामे दामन,
लेकर आएंगे हम खुशियाँ, हरियाली का सौंधा सावन,
कण कण महका है धरती का, हर मुखड़े पर हर्ष।
ज्योत्सना ---------

खट्टे-मीठे बीत चुके पल, कुछ कड़वे-गहराते साए,
कभी हंसे कभी रोये हम, फिर रोते-रोते मुस्काए,
रग-रग में उत्साह लिए ”श्री”, आशा का नव वर्ष, 
आया है नववर्ष फिज़ा में छाया है नववर्ष।
ज्योत्सना सा--------

स्वरचित- सरिता श्रीवास्तव “श्री”
धौलपुर (राजस्थान)

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6 Comments

Gunjan Kamal

08-Jan-2024 08:46 PM

👏👌

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Rupesh Kumar

07-Jan-2024 09:44 PM

Nice

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नंदिता राय

06-Jan-2024 09:46 AM

Nice one

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