गिरधारी
गिरधारी आन पधारो मेरे अंगना, घर सूना वृन्दावन सूना, सूनी पड़ी है गलियां। गिरधारी----------
सांझ सबेरे तेरी बाट निहारूं, झुक झुक अंगना रोज बुहारूं, देखत देखत लम्बा रस्ता, पथरा गई है अंखियां, गिरधारी-----‐---
दीप जलाऊं फिर दीप बुझाऊं, तेरे चरणन में ध्यान लगाऊं, झर-झर बहते नैना मेरे, मुरझाई मन बगिया। गिरधारी------------
अंतिम सांसें छलिया हो गईं, कान्हा के संग सखियां हो गईं, सांवरे तुमभी छलने लगे हो, बीत ना जाएं घडिय़ां, गिरधारी--------
तुम्हरे संग मैंने होली खेली, रास रचाई रंग रेली खेली, रोम-रोम मेरा कृष्ण पुकारे, लोगे कहाँ खबरिया। गिरधारी-------
विरह में व्याकुल नैना तरसे, बिन बदरी बिन बादल बरसे, जाने कहाँ छुप गए कन्हाई, कब आओगे संवरिया, गिरधारी--------
मुरली की धुन कान में गूंजे, मोहनी मूरत कण-कण साजे, “श्री”चरणों से डोर है लागी, आजाओ अब छलिया, गिरधारी--------
स्वरचित- सरिता श्रीवास्तव “श्री" धौलपुर (राजस्थान)
Sushi saxena
16-Jan-2024 08:15 PM
Nice
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Gunjan Kamal
13-Jan-2024 03:39 PM
👏👌
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Punam verma
13-Jan-2024 09:14 AM
Very nice👍
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