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बिना कोशिश तो कोई भी खुशी आने से रही।ख्वाहिश ए नफ़्स कभी आगे बढ़ाने से रही।❤️ख्वाहिशें लज्ज़त ए दीदा

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बिना काविश तो कोई भी खुशी आने से रही। ख्वाहिश ए नफ़्स कभी आगे बढ़ाने से रही। ❤️ ख्वाहिशें लज्ज़त ए दीदार जवां है अब तक। उस से मिलने की तमन्ना तो ज़माने से रही। ❤️ तुझ से मुमकिन हो भुलाना तो भुला देना तुम। तेरी चाहत,मेरे दिल से कभी जाने से रही। ❤️ पाक दामन को रखा अपनी जु़लेखा से मगर। हुस्न ए यूसुफ पे भी इल्जा़म लगाने से रही। ❤️ सीख ले कोई हुनर अपने गुजा़रे के लिए। शायरी अपनी कभी रोज़ी चलाने से रही। ❤️ मौत आसान है अब हिज्र की सा'अत से "सगी़र"। रिश्ता ए ज़ीस्त मुहब्बत के फ़साने से रही। ❤️❤️❤️❤️❤️ डॉ सगी़र अहमद सिद्दीकी़ खै़रा बाज़ार

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10 Comments

Mohammed urooj khan

27-Jan-2024 12:03 PM

शानदार 👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾 Sir उर्दू के शब्दों को नीचे थोड़ा एक्सप्लेन भी कर दिया कीजिए ताकि सब को अर्थ भी समझ आ जाये 🙏🙏🙏

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बेहतरीन

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Sushi saxena

24-Jan-2024 11:33 PM

Nice

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