Mamtansh ajit

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नारी




*नारी*

नारी के रुप अनेक,
पुरुषार्थ का हटाकर ऐनक देख।

प्रेम का गीत वो,
आत्म विश्वास का रगों में संगीत वो,
बलिदान का दूसरा नाम वो,
हर रिश्तें को दुलार से माँजती वो,
रखती सुरक्षित प्रत्येक बंधन,
करती धारण लेकर बहुत सारे भेष।
नारी के रुप अनेक,
पुरुषार्थ का हटाकर ऐनक देख।।

माँ, बेटी, बहन, बहू,
निभाती हर किरदार अच्छे से,
सृष्टि की निर्मात्री का गौरव प्राप्त है,
देती सबकों लाड़ सच्चे से,
नि: स्वार्थ का नाता बहुत गहरा रखती है
ये मुश्किलों में भी घर का राशन सँभाले रखती है।
कितना ही गुणगान कर लो,
रह ही जाती हैं उनकें लिए बातें शेष।
नारी के रुप अनेक,
पुरुषार्थ को हटाकर ऐनक देख।।

नारी कमज़ोरी का नाम नहीं है,
हर चीज़ में आगे हैं वो,
उसे एक पल भी आराम नही है
मैं मानता हूँ हर पुरुष मे,
होता है स्त्री का अंश,
इसीलिए ही अपने नाम के,
आगे लगा रखा है ममतांश,
धरती से आसमान तक नारी का होना है,
स्त्री के अस्तित्व से बिखरा हर कोना है,
वो समाई है संपूर्ण धरा मे,
मत समझ उसे तू रेत।
नारी के रुप अनेक,
पुरुषार्थ का हटाकर ऐनक देख।।

नारी दिवस की अनेकानेक मंगल कामनाएँ।

ममतांश अजीत
ig - mamtansh _ajit





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6 Comments

Gunjan Kamal

13-Mar-2024 10:06 PM

बहुत खूब

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Mohammed urooj khan

11-Mar-2024 01:15 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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kashish

09-Mar-2024 01:42 PM

Nice

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