दोहे(दौलत)
दोहे(दौलत)
दौलत पाकर मित्रवर!,करना नहीं घमंड।
रहना सदा विनम्र ही,वरन मिलेगा दंड।।
धन-दौलत की अकड़ से,हो शुचि भाव-अभाव।
जब अभाव हो भाव का, रहता सदा तनाव।।
दौलत हो यदि प्रचुर तो,करें वित्त का दान।
करे दान जो वित्त का, वह है पुरुष महान।।
दौलत जग टिकती नहीं,आज दूर कल पास।
करें उचित उपभोग यदि,रहे न चित्त उदास।।
धन-दौलत की चमक तो,रहती बस दिन चार।
दो दिन का सुख दे भले,शेष दिवस अँधियार।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
Gunjan Kamal
04-Apr-2024 02:08 AM
👌🏻👌🏻
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Mohammed urooj khan
22-Mar-2024 12:16 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Abhinav ji
20-Mar-2024 09:07 AM
Very nice👍
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