दोहे(दौलत)

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दोहे(दौलत) दौलत पाकर मित्रवर!,करना नहीं घमंड। रहना सदा विनम्र ही,वरन मिलेगा दंड।। धन-दौलत की अकड़ से,हो शुचि भाव-अभाव। जब अभाव हो भाव का, रहता  सदा  तनाव।। दौलत हो यदि प्रचुर तो,करें ...

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