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मुसाफ़िर

मुसाफ़िर 


सच्ची राह का मुसाफ़िर हूँ,
सहरा-सहरा बढ़ते जाना है,
लगन लगी है मंजिल की,
साहिल से भी टकराना है।

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान) 


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4 Comments

Varsha_Upadhyay

27-Apr-2024 11:05 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

27-Apr-2024 11:57 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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जी बेहतरीन प्रस्तुति।

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