Tabassum

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किरदार


वहशती लोग गुल औ ख़ार में खो जाते हैं
रिश्ते अल्फ़ाज़ की दीवार में खो जाते हैं

हार का ख़ौफ़ हमें जीतने देता ही नहीं
जीत की याद नहीं , हार में खो जाते है

हम ने तो आज भी उम्मीद नहीं छोड़ी है
आज भी हम गुल ए गुलज़ार में खो जाते हैं

ये बग़ावत हमें औरों से अलग रखती है
सारे शातिर उसी दरबार में खो जाते हैं

कोई भी झूठ दिलासा ही कहाँ देता है
रोज़ हम झूठ के अख़बार में खो जाते है

उसने तन्हाई को कलेजे से लगाकर रक्खा 
कितने ही लोग तो किरदार में खो जाते है!!

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1 Comments

Babita patel

30-Apr-2024 11:42 PM

Amazing

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