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त्रिपदियाँ

त्रिपदियाँ
हे रघुनंदन,तेरा वंदन,
तुमसे ही है जग में नंदन।
विश्व करे तेरा अभिनंदन।।

वीणा-वादिनि, तुम्हें प्रणाम,
सकल कला की तुम्हीं हो धाम।
मिले अपार सुख लेते नाम।।

चहुँ-दिशि फैला है अँधियारा,
ज्ञान-दीप से हो उजियारा।
चलो,जलाएँ इसे दुबारा।।

चलो,पथिक को राह दिखाएँ,
भाव दुश्मनी के बिसराएँ।
अज्ञानी को पाठ पढ़ाएँ।।

राग-द्वेष से दूर रहें हम,
होती राह सरल तब दुर्गम।
प्राणी-रक्षा हितकर सुकरम।।
      ©डॉ0 हरि नाथ मिश्र
          9919446372

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2 Comments

hema mohril

23-May-2024 02:43 PM

V nice

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Gunjan Kamal

22-May-2024 08:33 PM

बहुत खूब

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