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चाय

मंहगाई निश-दिन बढ़ी है। 

दुगनी फिर चौगुनी बढ़ी है।
दुग्ध जगह पर चाय हो गई।
आज शानो-शौकत हो गई।

अंग्रेज पहले चाय कहाँ।
चाय का नामो निशान कहाँ।
घर-घर में रहे चाय-पानी। 
पत्ती चाय और चाय-दानी।

पहले कोई चाय न पीता।
दूध सभी को मिल जाता था।
बच्चे बूढ़े बहिनें माता।
सबको ही खूब अघाता था।

क्षीरज दही छाछ भी पीते। 
हष्ट-पुष्ट और स्वस्थ रहते। 
आज हैं सब चाय के आदी।
बच्चा बूढ़ा या हो दादी।

दूध की यहाँ कमी हो गई।
मंहगाई व्योम छू गई।
बच्चे काॅफी-कहवा पीते।
सुबह चाय की चुस्की लेते।

सबसे पहले चाय चाहिए।
बिस्तर पर बेड टी लाइए।
चाय दिन प्रारंभ करती है।
ऑफिस को उद्यत करती है।

चाय कुल्हड़ "श्री" स्वाद पुराना।
जो पीता है उसने जाना।
गर्म चाय कुल्हड़ में छानी।
सौंधी-सौंधी महक सुहानी।

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान) 

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7 Comments

hema mohril

23-May-2024 11:00 AM

Amazing

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Gunjan Kamal

22-May-2024 08:28 PM

बहुत खूब

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Gobind Rijhwani "Anand"

21-May-2024 06:26 PM

बहुत बढ़िया लिखा है आपने 👌👌👌

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Sarita Shrivastava "Shri"

22-May-2024 02:13 PM

🙏🙏

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