Tabassum

Add To collaction

चाय


आज की औरतें
चाय की तरह कड़क हैं 
पक पक कर स्वादिष्ट हो गयीं
ज़िन्दगी जीने में माहिर हो गयीं

दूध बन कर ससुराल आयी थीं 
अदरक की तरह कूटी गयीं
वो अपनी चीनी मिलाती रहीं 
और तजुर्बे की आँच में 
खुद को पकाती रहीं 

और आज देखो सब
मजे से घर चलाती हैं
और अपना भी दिल बहलाती‌ हैं
चालिस के पार हो कर भी
छब्बीस सी नजर आती हैं 

कोई अब दूध सा उफनता नहीं
किसी का हाथ अब जलता नहीं
सब समेट लेती हैं
खुद को सहेज लेती हैं 
ये उम्र दराज नहीं होतीं 
उम्र को दराज में रख देती हैं 

इनके बच्चे बड़े हो रहे
और ये इलायची सी महक रहीं
बूढ़े हो इनके दुश्मन
ये रोज नये नाम कर रहीं 
इनका नशा कभी कम ना होता
कुल्हड़ हो या बोन चाइना
इन्हें कभी कोई गम ना होता

ये तो अदरक से भी
दोस्ती निभाती हैं
उसे अपने अंदर समा
उसका भी स्वाद बढ़ाती है
चाय की माफिक
सबकी पहली पसन्द कहलाती हैं।

   4
2 Comments

hema mohril

23-May-2024 10:49 AM

Amazing

Reply

Gunjan Kamal

22-May-2024 08:25 PM

बहुत खूब

Reply