Archana Tiwary

Add To collaction

आंसू

मैंने आंसुओं को संभाल कर 

छुपा दिया है....
दर्द जब हद से बढ़ जायेगा 
आँखों के जरिये बह 
दबी दास्ताँ बयां कर जायेगा...

इज़ाज़त नही आंसुओं को
मनमानी करने की....
मैंने तो अंकुश लगा 
खुशियों के नकाब में
उसे छुपा रखा है....


मन की  सुनती हूँ अब
पहले सी न रह गयी हूँ...
क्या करूँ वक़्त ने
अपनों में छुपे परायों से
मुलाकात जो कराया है..…

तज़ुर्बा वो सिख है जो
वक़्त आने से पहले ही 
वक़्त नेमुझे कराया है....

वक़्त बेवक्त बहतेआंसुओं को
इज़ाज़त नही अब यूँ बहने की.....

संभाला है उसे छुपा रखा है
दर्द हद से जब बढ़ जायेगा.....
जरिया आँखों के बन
आहिस्ता आहिस्ता ढुलक जायेगा....
अर्चना तिवारी



   6
0 Comments