बचपन
उम्र के इस पड़ाव पर
जब मुड़कर देखती हूँ पीछे
तो स्मृतियों में केवल दिखाई देता है
बचपन ...
कितना सुंदर, निश्छल, स्वतंत्र
एक पंछी की भांति उड़ाने भरता हुआ।
जहां माता-पिता का अगाध स्नेह,
भाई -बहन का साथ ,
व मित्रों की संगत
हर दिन को बना देती थी ख़ास।
तब किसे पता था ..
कि फ़िक्र नाम की भी कोई चीज़ होती है।
बस ,रहते थे बेफ़िक्र...
अपनी मस्ती में मस्त...
आज भी चाहत है कि...
काश...
लौट आए ..जीवन के वो स्वर्णिम दिन...
लौट आए फिर से मेरा बचपन।
नेहा कटारा पाण्डेय
सिरोही
Shashank मणि Yadava 'सनम'
24-Aug-2022 09:49 PM
लौट आए जीवन के स्वर्णिम दिन लौट आए बचपन Superr से भी बहुत बहुत uperr
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