Ravi lawyer

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गुमशुम

थकती ना जुबां कहते-कहते,
 मैं अब गुमसुम रहने लगा हूं ।
 चिल्लाते दोस्त गलियों में 
मैं चुप चुप रहने लगा हूं।
शाम के वक्त ना देखी छत कभी मैं अकेले टहलने लगा हूं।
 जाना नहीं तनहाई को 
मैं महसूस करने लगा हूं।
क्या हुआ है मुझको 
मैं क्या करने लगा हूं ।
आंखों को बंद करके
 तुझ को देखने लगा हूं।
सवारी ना कंघी कभी बालों में अब मैं बनने सवरने लगा हूं। बेफिक्र होकर जीता था,
 मैं अब थोड़ा सा डरने लगा हूं।
सोचा नहीं कभी किसी के बारे में,
 मैं तुझे सोचने लगा हूं।
पता न था मुझे 
मैं क्या करने लगा हूं।
 दोस्त कहने लगे ,
मैं प्यार करना प्यार करने लगा हूं।
मैं प्यार करने लगा हूं।
    rv.lawyer@gmail.com

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2 Comments

Niraj Pandey

15-Nov-2021 09:20 PM

बहुत खूब

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Swati chourasia

15-Nov-2021 07:13 PM

Very beautiful 👌

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