परिवर्तन
हाँ परिवर्तन ही देखा है....
हर उम्र के साथ प्यार का.….
बचपन में माँ को ही अपनी दुनिया मानता
बेफिक्र हो घूमता आसपास उसके....
ज़िद करता, फरमाइशें करता.....
न जाने कैसे हँस हँस कर वो मेरी
सारी बातें पूरी करती....
जाते ही स्कूल प्यार बदलने लगा
कुछ दोस्तों में कुछ हमदर्दों में....
हाँ ये परिवर्तन ही था उस प्यार का
कॉलेज में तो रंग इसका, कुछ ऐसा बदला....
बन इश्क मुझे तड़पाने लगा....
छूटा बचपनवाला वो प्यार....
माँ का भी प्यार कुछ मलिन पड़ा.....
शादी के बाद जो प्यार मिला
उसका चस्का कुछ ऐसा लगा.....
साँझ ढलते बच्चों की याद आती
अब प्यार बदल गयी चिंता में.....
बालों की चाँदी, आँखों का चश्मा
अहसास कराती उम्र बढ़ने की....
अब प्यार जरुरत बनी अब हमदोनों की....
फ़िक्र करती जब वो मेरी
माँ का प्यार फिर याद आ जाता है....
हाँ परिवर्तन देखा है मैंने तो
बदलते उम्र संग प्यार का....
बदलते उम्र संग प्यार का....
अर्चना तिवारी