व्यथा नारी की
व्यथा नारी की
ये केवल लिखने पढ़ने या ,समीक्षा
का विषय नहीं है........।
समाज के इन दरिंदों को,
कड़ा सबक सिखाने का समय है।
बात एक निर्भया की नहीं है!
ना ही बात एक मोनिका की है ।
बात यह एक गहरी पीड़ा की है।
इस देश की हर नारी की है।
मानसिक वेदनाओं और आत्मा,
को तार तार कर देने वाले........
शारीरक अत्याचारों की है.......।
दिल्ली हो लखनऊ या हो बनारस ।
कानपुर हो या बलिया या हो हाथरस।
किसी रूप में भी रक्षित नहीं है नारियाँ,
कोई भी हो जगह सुरक्षित नहीं है नारियाँ।
घर से बाहर निकलने के नाम पर,
इनपर गिरती हैं असंख्य बिजलियां ।
अपने ही घरों में और परिजनों से ,
सुरक्षित नहीं है इस देश की नारियाँ।
हर रोज घटती रहती हैं,
यह जघन्य दुर्घटनाएं।
नारियों पर ही क्यों लगती हैं ?
असंख्य वर्जनाएं।
खुदा न करे यदि कुछ अनहोनी,
हो जाती है इन मासूमों के साथ।
सारा दोष मढ़ते हैं इन्हीं के माथ।
न्यूज़ चैनल तो बस एक खबर दिखाते हैं।
घटना की धज्जियाँ उधेड़ कर रख देते हैं।
मां बाप की तो सोचो उन पर क्या बीतती है ।
उनकी तो पूरी जान ही निकल जाती है।
हवस की शिकार पीड़िता अपना।
मुंह छिपाती रह जाती है.........।
कभी-कभी प्राणों की भी,
बाजी लगा जाती है.............।
सरकार और नेताओं की दोगली बात ,
मीडिया में इस तरह घुमाई जाती है ।
आम जनता उलझ कर रह जाती है।
मानसिकता तो देखो समाज की!
उन हैवानों को कुछ नहीं कहते ।
पहना क्या था लड़की ने........?
व्याख्या उसकी विस्तार मेंं करते।
क्यों निकली थी बेवजह,
देर रात वह घर से बाहर ?
अरे भाई! यह देश उसका भी है,,
जन्मी है वह भी यहां पर।
उसके अभिभावक भी,
सरकार को टैक्स देते हैं ।
बदले में अपनी और अपने,
परिवार की सुरक्षा चाहते हैं।
सरकार कितने तरीकों से ,
हम जनता से टैक्स लेती है ।
और हमारी सुरक्षा के नाम,
पर पल्ले झाड़ लेती है ।
ये तो बस बातें करते हैं ,
कितनी घुमाके लच्छेदार.....।
पर अंतरात्मा में है इनके ,
कितना गहरा अंधकार....।
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह '
नईदिल्ली
रतन कुमार
29-Nov-2021 01:06 PM
Bahut khoob
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Swati chourasia
24-Nov-2021 01:49 AM
Bohot sahi likha hai aapne
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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
23-Nov-2021 11:06 PM
Nice
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Sneh lata pandey
23-Nov-2021 11:08 PM
Thanks a lot🙏🙏
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