हौंसला
हौंसला
अपनी खामोशी से लरजने वाले,
उठ फिर से, गिर गिर के संभलने वाले।
माना तुझे वक़्त की थपेड़ों ने थकाया है।
चैन की सांस लेने को हर सांस सताया है।
पर तू भी कहाँ हारा है जिंदगी की चालों से।
हर बार संभाला खुद को वक़्त के जंजालों से।
उठ एक बार फिर से गरजने को
उठ एक बार फिर से बरसने को।
चल, इस बार एक नई चाल चलते हैं
दुनिया के रंग जैसा हाल बदलते हैं।
चढ़ा लेते हैं आंखों पे बेहया सा चश्मा
हम ठोकरों से इस दुनिया को परखते हैं।
कसमें, वादे, प्यार वफ़ा सब भूल कर सनम
खुदगर्ज़ी की नई मिसाल बुनते हैं।
अपनी खामोशी से लरजने वाले
उठ फिर से गिर गिर के संभलने वाले।।
आभार – नवीन पहल – २६.११.२०२१ ❤️🌹👍
# प्रतियोगिता हेतु
Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
26-Nov-2021 11:07 PM
Wah
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Ankit Raj
26-Nov-2021 10:03 PM
Wahh
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Swati chourasia
26-Nov-2021 07:32 PM
Very beautiful 👌
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