गुलशन बदल रहे हैं
गुलशन बदल रहे हैं
इंसान बन रहे हैं क्यों हैवान की तरह l
गुलशन बदल रहे हैं क्यों वीरान की तरह l
उल्फ़त वफा के रिश्ते सभी मतलबी हुए ,
सब बिक रहे हैं फलसफे ईमान की तरह l
सबके लहू का रंग एक -सा है दोस्तों,
फिर घूमते शहर में क्यों शैतान की तरह l
तुम अपनी शख्सियत को रखो खुद संभालकर ,
बिकने लगी है सियासत सम्मान की तरह l
आलम हरेक सिम्त है बेचारगी का क्यों ,
है ‘दीप’ भी तो गुमसुम अनजान की तरह ।
# प्रतियोगिता हेतु
©रचनाकार
डॉ. दीप्ति गौड़
शिक्षाविद एवं साहित्यकार
ग्वालियर,मध्यप्रदेश)
वर्ल्ड रिकॉर्ड पार्टिसिपेंट
सर्वांगीण दक्षता हेतु राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित,
विशिष्ट प्रतिभा संपन्न शिक्षक के रूप में राज्यपाल अवार्ड
से सम्मानित
Seema Priyadarshini sahay
29-Nov-2021 05:11 PM
बहुत उम्दा प्रस्तुति
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DR DEEPTI GAUR
30-Nov-2021 10:52 PM
आभार
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DR DEEPTI GAUR
30-Nov-2021 10:52 PM
आभार
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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
27-Nov-2021 10:59 PM
Wah
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DR DEEPTI GAUR
30-Nov-2021 10:53 PM
आभार
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