DR DEEPTI GAUR

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गुलशन बदल रहे हैं


गुलशन बदल रहे हैं


इंसान बन रहे हैं क्यों हैवान की तरह l

गुलशन बदल रहे हैं क्यों वीरान की तरह l


उल्फ़त वफा के रिश्ते सभी मतलबी  हुए ,

सब बिक रहे हैं  फलसफे  ईमान की तरह l


सबके लहू का रंग एक -सा है दोस्तों,

फिर घूमते शहर में क्यों शैतान की तरह l


तुम अपनी शख्सियत को रखो खुद संभालकर ,

बिकने लगी है सियासत सम्मान की तरह l


आलम हरेक  सिम्त है बेचारगी का क्यों ,

है ‘दीप’ भी तो गुमसुम अनजान की तरह ।

# प्रतियोगिता हेतु


©रचनाकार

डॉ. दीप्ति गौड़ 

शिक्षाविद एवं साहित्यकार

ग्वालियर,मध्यप्रदेश)

वर्ल्ड रिकॉर्ड पार्टिसिपेंट

सर्वांगीण दक्षता हेतु राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित, 

विशिष्ट प्रतिभा संपन्न शिक्षक के रूप में राज्यपाल अवार्ड

से सम्मानित

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5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

29-Nov-2021 05:11 PM

बहुत उम्दा प्रस्तुति

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DR DEEPTI GAUR

30-Nov-2021 10:52 PM

आभार

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DR DEEPTI GAUR

30-Nov-2021 10:52 PM

आभार

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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

27-Nov-2021 10:59 PM

Wah

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DR DEEPTI GAUR

30-Nov-2021 10:53 PM

आभार

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