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यादें

शब-ए-हिज्र कोई याद रखता तो कोई भूल गया है।
शब-ए-वस्ल मेरी नश-नश में मानो जैसे घुल गया है।

©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला - महासमुन्द (छःग)

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4 Comments

Reyaan

11-Dec-2023 10:15 AM

Nice one

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Gunjan Kamal

10-Apr-2022 12:10 PM

👌👏🙏🏻

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👌👌

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