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अत्याचारी

द्यूत सजाये बैठे हैं अब इस जग में बहु शकुनी 

शस्त्र उठा ले लाज बचा ले हे प्रिय पुत्री तू अपनी 
छोडो कंगन छोडो मेहंदी अब तो खडग उठा लो 
घूंघट छोड अब तुम ही ये धर्म युद्ध सम्भालो 
रक्षा की न आस करो तुम धृतराष्ट्र दरबारों में 
खबर तुम्हारी छप जायेगी बिके हुए अखबारों में 
दुर्गा रुप धार लोगी तो फिर न होगी जग हन्सनी 
शस्त्र उठा ले लाज बचा ले हे प्रिय पुत्री तू अपनी 
दुखियारी का करुण रुदन सुन अब गिरधर न आयेंगें 
बिदुर महात्मा के घर ही मे माखन मिश्री खायेंगे 
तुझे देखकर दुर्योधन और कर्ण वर्ण सब ऐठे हैं
अब तक देखो भीष्मपितामह शीश झुकाये बैठे हैं 
साफ सफाई करो सुरु तुम लेकर उत्तर से दखनी 
शस्त्र उठा ले लाज बचा ले हे प्रिय पुत्री तू अपनी 
स्वयं जी लज्जित पडे हुए हैं वो क्या लाज बचाएंगें
गदा वदा सब धरी रहेगी अब न भीम कहायेंगें
दुष्ट दुसासन के हाँथों से अब न द्रोण छुडायेंगें
धरा रह गया गान्डिव तेरा ये अर्जुन किस काम के हो 
बैठे हो सब शीश झुकाये धर्मराज बस नाम के हो
खुद ही अपना चीर बचा लो मत बन जाना तुम गफनी 
शस्त्र उठा ले लाज बचा ले हे प्रिय पुत्री तू अपनी  
कब तक आस लागाओगी तुम टी आर पी के चैनल से 
फिर भी मुकदमा हार जाओगी तीन जजों के पैनल से 
रणचंडी का रुप धरो तुम मत बनना तुम द्रुपतसता 
आँधी का शृगार करके दुष्टों का दो दिया बुता 
खुद ही तुम दंडित कर दो कानून की माला न जपनी 
शस्त्र उठा ले लाज बचा ले हे प्रिय पुत्री तू अपनी 

उदय बीर सिंह गौर 
खम्हौरा
बांदा 
उत्तर प्रदेश 






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13 Comments

वाह लाजवाब लाजवाब लाजवाब Outstanding

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gautam

13-Apr-2021 07:17 PM

wah

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ऋतू कौर

11-Apr-2021 06:14 PM

Good work

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