किसने कहा हम डर गए थे?!
नहीं नहीं, भूत नही दिखा, एक बच्चा ,शायद पहली कक्षा का होगा, गेट के पास ही दीर्घ-शंका(latrine) को अंजाम दे रहा था🤢,नाक बंद करते हुए हम आगे बढ़े, तो टॉयलेट के कोने से फ्लश करने की आवाज आने लगी,(थोड़ा बिल्ड-अप दे देता हूं)
:खटैक (फ्लश दबने की आवाज), छर्र छर्र छर्र छर्र
हम धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे
: टप्प टप्प टप्प(एक मिनट, हमने तो टेनिस शूज पहने थे तो ये आवाज़ कैसे?)
हम फिर धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे
:टप्प टप्प टप्प(ये पानी गिर रहा है यार, किसी ने नल खोल दिया था)
हमने मन ही मन बोला उल्लू के पट्ठे है सब, पानी भी बंद नही किया है,आगे बढ़ते हुए नल बंद किया,
फिर धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे,
अच्छा, सॉरी हम पहुंच गए थे, जहां से फ्लश की आवाज आ रही थी, हम किसी के बाहर आने का इंतज़ार कर रहे थे क्योंकि हम पूरी प्राइवेसी चाहते थे, की कोई हमारा प्लान ना जाने।
गेट खुल गया,
: चर्ररररररर
गेट खुलते ही हमने फिरसे चीख मार दी,
मम्ममम्मी!😲.......
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हां, इस बार शायद भूत दिख गया था,
दरअसल, हमें समझ नहीं आ रहा था की किस बात से डरे।
क्योंकि बिजली चली गई थी 😰,
क्योंकि पानी का नल अपने आप चलने लगा था 😰,
क्योंकि वो बच्चा अचानक गायब हो गया 😰, और ना ही कोई उसके द्वारा छोड़ा गया पदार्थ वहां पर था😰,
क्योंकि गेट खुलते ही उसमे से कोई निकला ही नहीं😰,
और अचानक सामने साक्षात छिपकली भी आ गई😰,
जैसे तैसे, हम पसीने से गीले होते हुए बाहर आए,
हां, शायद हमारा पजामा भी गीला हो गया था
बस दो-तीन हफ्ते तक हम स्कूल नहीं गए,(किसने बोला हम डर गए थे?😑)।।
Nishat Gauhar
04-Jan-2022 01:02 PM
😯
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