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यस आई एम— 25























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वह लड़की छिपकर कई दिनों से एक घर पर नजर रख रही थी। एक दिन जैसे ही उस घर के मालिक और मालकिन घर से बाहर निकले , वैसे ही वह मौका पा कर घर के अंदर घुस गई। घर में अंदर घुसते ही लड़की की नजर सामने की दीवार पर टंगी फोटो पर चली गई। जहां पर एक 16, 17 सत्रह साल के लड़के की फोटो टंगी हुई थी और लड़के के साथ उस के मम्मी पापा भी थे। उसी तस्वीर की बराबर में उस लड़की की तस्वीर भी टंगी हुई थी जिस पर फूलों की माला चढ़ी हुई थी, जिसका मतलब था उसके मां बाप के अपनी बेटी को जीते जी मार दिया था। जब उसने उस तस्वीर में खड़े लड़के को फोटो को ध्यान से देखा तो उसे याद आया कि यह तो वही लड़का है जिसकी उस ने कैद से बाहर निकलते समय ही हत्या कर दी थी। उसके बाद वह फोटो को देखती हुई भावहीन तरीके से बोली। "ओह..! तो ये मेरा भाई अरुण है जिसको मैंने बाहर निकलते ही टपका दिया। वैसे देखा जाए इस का टपकना भी तय था क्योंकि मम्मी ने इसी की वजह से मुझे कैद करवाया था। इसके अलावा मेरी अब यह भी समझ आ गया कि मै इसका दिमाग क्यों कंट्रोल नही कर पाई। जहां दिल के रिश्ते होते है वहां दिमाग काम करना बंद कर देता है मतलब जहां भावनाएं होती है वहां इंसान कमजोर पड़ जाता है। शायद इसी वजह से मै अपने भाई का दिमाग काबू में नहीं कर पाई। वैसे तो मैंने कैद से निकलते टाइम सोचा था कि मैं अपने मम्मी पापा को नहीं मारूंगी। यहां आकर पता चला इन लोगों ने तो मुझे पहले ही मार दिया है। अगर मैं इन लोगों को मार भी दूं तो किसी को पता ही नही चलेगा कि इनकी बेटी ने ही इनकी हत्या कर दी क्योंकि इन लोगों ने तो मुझे पहले ही मरा हुआ घोषित कर दिया है। चलो इस बात का मुझे तो बहुत फायदा होने वाला है। जब मैंने इन लोगों को मारने के बारे में सोच ही लिया है तो क्यों ना इन लोगों को कुछ अलग ही तरीके से मारूं। वैसे भी मुझे अपने मम्मी पापा की हर छोटी से छोटी बात तो पहले से ही मालूम है। अब ये बात ही उन लोगों के लिए नुकसानदायक साबित होंगी। जीतना मुझे याद है उन दोनों को लगभग हर संडे रेस्टोरेंट में जाकर पिज़्ज़ा खाने की आदत है और इसके अलावा उन दोनों को मशरूम से भी एलर्जी है, वो भी भयंकर वाली। सबसे पहले मुझे कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिसकी वजह से मैं उस पिज़्ज़ा में मशरूम मिला सकूं। ऐसा करने का एक ही आसान तरीका है और वो है मैं रेस्टोरेंट में ही काम करने लग जाऊं। इसके दो फायदे है। एक तो मैं बड़े आराम से पिज्जा में मशरूम मिला सकती हूं और दूसरा मैं इसी बहाने कमाई भी करने लगूंगी। अब लोगों के दिमाग में कुछ सवाल आ रहे होगें, जैसे क्या मेरे मम्मी पापा को उनके बेटे की डेथ के बारे में पता नही चला होगा क्या? वो तो मुझे नही पता कि पता चला है या नही। अगर पता भी चल गया होगा तो वें लोग मेरी पुलिस में कंप्लेन बिल्कुल भी नही करने वाले। अगर करेंगे भी तो इससे उन्हें ही नुकसान होगा क्योंकि फिर उन्हें पुलिस वालों को सब बातें डिटेल में बतानी पड़ेगी कि क्यों उन्हें अपनी ही बेटी को कैद करना पड़ा जिससे मेरे मम्मी पापा को ही ज्यादा नुकसान है।  इसके अलावा अगर उन्हें मेरे भाई की डेथ के बारे में पता चल भी गया होता तो उसके फोटो पर भी फूलों का हार होता पर जब मैंने उसकी फोटो देखी उस पर ऐसा कुछ भी नहीं था। इस बारे में उन लोगों को पता चल भी गया होगा तो मुझे ना इस तो बात से कुछ लेना देना है और ना ही मुझे इसके बारे में कुछ पता करना है। अब कुछ लोग सोच रहे होंगे कैसे मम्मी पापा हैं बेटे के मरने के बाद भी रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं, उन लोगों मुझे कैद करने के बाद भी कौन सा कुछ छोड़ दिया। किसी ने जाने के बाद कुछ नही छोड़ा जाता और ना ही कोई छोड़ सकता। ये सिर्फ कहने की बात है कि हम किसी के बिना नहीं रह सकते। जबकि किसी के जाने के बाद कुछ नही बदलता सब कुछ वैसे का वैसा ही रहता है। बताओ मेरे कैद में भेजने के बाद मेरे मम्मी पापा ने कुछ छोड़ा होगा, नही ना। ये तो प्रकृति का नियम है जो दुनिया में आता है उसे यहां से एक ना एक दिन तो जाना ही होता है।" इतना बोलने के बाद वह उस घर से बाहर निकल आई। बाहर निकलने के बाद भी वह लड़की उस घर को बड़े गौर से देखती रही। उसके बाद वह लड़की वहां से इस तरह से गायब हो गई जैसे वहां पर कोई आया ही ना हो। जिस काम के लिए उस लड़की ने इस घर पर नजर रखी हुई थी, उसका वह काम भी अब पूरा हो चुका था।











उस घर की जासूसी करने के बाद वह लड़की सीधा रेस्टोरेंट में चली गई, वहां पर जाकर उसे पता चला कि उस रेस्टोरेंट का मालिक एक बुजुर्ग व्यक्ति है। किस्मत भी लड़की का साथ दे रही थी जिसकी वजह से उसकी मुलाकात सीधा रेस्टोरेंट के मालिक से हो गई। लड़की ने बुर्जुग व्यक्ति को अपनी हालत के बारे में बता दिया कि उसके मां बाप नही है और इसके अलावा उसे रहने, खाने और पढ़ने के लिए पैसों की जरूरत है और जिसके लिए उसे नौकरी की तलाश है।  लड़की इस वक्त इतनी अधिक मासूम लग रहीं थी कि उसे कोई भी ना नही कह सकता था।





बुजुर्ग व्यक्ति को लड़की की हालत पर तरस आ गया और इसके अलावा वह वक्त देखने में बहुत ही ज्यादा मासूम लग रही थी, जिसे प्यार और मदद की बहुत आवश्यकता थी। इसी वजह से रेस्टोरेंट के मालिक ने लड़की को जॉब पर रख लिया और उसे रहने के लिए भी एक घर भी दे दिया जो मालिक का खुद का ही था पर खाली पड़ा हुआ था। इस तरह से वह वहां पर काम करने लगी।





अपने काम की वजह से वह कुछ ही दिनों में रेस्टोरेंट के मालिक की खास बन गई, जिसकी वजह से रेस्टोरेंट के मालिक ने अपने बारे में उसे बहुत कुछ बताया जो बाकि लोगों को नही पता था। लड़की को भी उन बुजुर्ग व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ पता चल गया था।  जैसे कि उन्होंने अपने बच्चों को बड़े लाड़ प्यार के साथ पाला था इसके बावजूद भी उनके बच्चों ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। वो भी उस उम्र में जिस उम्र में सभी लोग अपने पोते पोतियों के साथ खेलना चाहते हो। इसके अलावा उम्र के जिस पड़ाव में इंसान को अपने जीवनसाथी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, उस दौर में उनकी पत्नी भी उनका साथ छोड़ कर भगवान को प्यारी हो गई। 





इतनी मुसीबत और तकलीफों के बावजूद भी उन बुर्जुग  व्यक्ति ने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत के बल पर उन्होंने खुद का अच्छा भला रेस्टोरेंट खड़ा कर लिया।  जब उनका रेस्टोरेंट फैमस हो गया तब उनके लड़का और उसकी बीवी उन्हें वापिस लेने आए थे,पर उन्होंने साफ साफ मना कर दी। लड़की की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी जिसकी वजह से वह लड़की उन बुजुर्ग व्यक्ति के साथ जल्दी ही घुल मिल गई और वह बुजुर्ग व्यक्ति भी उस लड़की की इस तरह से देखभाल करने लगे जैसे वे उनकी खुद की पोती हो। 





एक दिन वह लड़की रेस्टोरेंट में काम कर रही थी तभी उसकी नज़र उन बुजुर्ग व्यक्ति पर गई। जिन्हें देखने के बाद वह मन ही मन सोचने लगी। "दुनिया में एक जैसे व्यक्ति कही ना कही पर कैसे ना कैसे मिल ही जाते है। जैसे ये बूढ़े बाबा मुझे मिल गए। इनकी ओर मेरी जिंदगी एक जैसी ही है। तभी तो हम दोनों एक दूसरे के साथ इतने अधिक घुल मिल गए। इन को इनके बच्चों ने घर से तब बाहर निकाल दिया जब उन्हें इनकी सख्त जरुरत थी और मेरे मां ने मुझे कैद में तब डाल दिया जब मुझे उनकी सख्त जरुरत थी। बचपना और बुढ़ापा दोनों एक ही तरह की अवस्था होती है, दोनों में ही इंसान को किसी अपने की जरूरत होती है मतलब एक दोस्त की। इसी वजह से हम दोनों एक दूसरे के इतने खास बन गए। इसके अलावा भी कई बातें है जो दोनों में समान है और वो है ये अपने पोती पोतियों के साथ रहना चाहते थे और मैंने कभी अपने दद्दू को देखा ही नहीं, इस वजह से भी हम एक दूसरे के खास हो गए। वैसे भी बड़े बुजुर्गों के पास से सीखने को बहुत कुछ मिलता है , बस उन्हें थोड़े से प्यार और अपने पन की आवश्यकता होती है। इसके बदले वें आपके लिए बहुत कुछ कर देते है और बहुत कुछ आपको सीखा भी देते है। जैसे दादू ने मेरे लिए किया। वैसे मुझे नही लगा था कि मुझे कोई इतनी जल्दी अपना भी मिल जाएगा। इतने दिन साथ रहने के बाद मुझे इनके ऊपर बहुत विश्वास हो गया है और इन्हें मेरे ऊपर। अगर इन्हें कोई कुछ कहता है तो मुझे उस का बुरा लगता है और मुझे यहां कोई कुछ कह दे ऐसा दद्दू होने ही ना दे। कुल मिला कर देखा जाए इनकी और मेरी जिंदगी में सब कुछ सही चल रहा है, बस अब इसे किसी की नज़र ना लग जाए। एक बात ओर है जो बहुत अच्छी चल रही है , वह है कि दद्दू का किसी के साथ कोई लड़ाई झगड़ा नहीं है और ना ही इन्हें कोई कुछ कहता। वरना मुझे उन लोगों को भी टपकाना पड़ता और दद्दू की वजह से यहां आने वाले कस्टमर भी मुझे कुछ गलत नही कहते। अगर कोई कुछ कह भी देता तो उसके बचने के जरा से भी चांस नहीं है, दद्दू उसकी ऐसी तैसी कर देते है। कोई किसी के लिए इतने कम समय में इतना खास भी बन जाता है , यकीन ही नहीं हो रहा। इसके अलावा इन दिनों में रेस्टोरेंट में रहकर दद्दू की वजह से मैंने बहुत कुछ सीख लिया। जैसे खाना में किस चीज की कितनी मात्रा फायदेमंद है और कितनी मात्रा नुकसान दायक। इसके आलावा रेस्टोरेंट में हर तरह के लोग आते है जिनसे मैंने बहुत कुछ सीखा और जाना है। मैंने यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को बड़े ध्यान से देखा है और उन लोगो से बहुत ही बारीकी से सीखा भी है। मेरे पास अभी तीन ही काम है। रेस्टोरेंट में खाना बनाने में मदद करना, दद्दू के की देखभाल और हॉस्पिटल से उनकी दवाई लाना , लोगों से सीखना।" वह अपनी सोच में डूबी हुई थी। इस वक्त वह लड़की बहुत प्यारी लग रही थी कोई मान ही नहीं सकता था कि वह लड़की इतने खतरनाक तरीके से खून भी कर सकती है क्या? 



तभी उस लड़की को किसी की आवाज सुनाई दी, वह आवाज किसी ओर की नही बल्कि उसके दद्दू की थी। "क्या हुआ पंछी बेटा? इतनी देर से किस सोच में खोई हुई हो? कोई प्रॉब्लम तो नही है ना!" उस बुर्जुग व्यक्ति ने बड़े ही प्यार से पूछा।







"कुछ नही हुआ दद्दू, बस सोच रही थी कि यहां का काम करने के बाद हॉस्पिटल जा कर आपकी दवाइयां ले आऊं। वैसे भी वें अब खत्म होने वाली है।" उस लड़की ने बड़ी ही प्यारी सी मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया।







"तुम भी ना! तुम्हें भी इस बूढ़े दद्दू के अलावा कुछ ओर दिखाई नहीं देता। तुम्हारी प्यारी सी मुस्कान से मेरी सारी समस्याएं दूर हो जाती है, तुम बस ऐसे ही मुस्कुराती रहा करो। मुझे फिर किसी दवाई की जरूरत ही नही है।" उस बुर्जुग व्यक्ति के बात करने के तरीके से ही पता चल गया था कि वह उनके लिए कितनी खास बन चुकी है।







"दद्दु आप भी ना! दवाई लेना बहुत जरूरी है। मै हूं इसलिए ओर भी ज़रूरी है।" इतना कहने के बाद वह कुछ सोचने लगी। "इतने दिनों में दद्दू ने मेरा नाम पंछी रख दिया, उनके अलावा इस नाम से मुझे कोई ओर नही बुलाता। एक तरह से देखा जाए तो इस नाम को लेने का कॉपीराइट बस उन्हीं के पास है। उनके हिसाब से मुझे किसी पंछी की तरह खुले आममान में उड़ना है और बहुत कुछ हासिल करना है। इसी लिए उन्होंने मेरा नाम पंछी रख दिया।"





"ठीक है! अब मेरी बात तो तुम मानने वाली नही हो। पर हॉस्पिटल से टाइम से वापिस आ जाना।" वह बुर्जुग व्यक्ति ऑर्डर देते हुए बोले जिसकी वजह से वह वास्विकता में आ गई और परमिशन मिलने के बाद हॉस्पिटल के लिए रवाना हो गई।




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To be continued.....................


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2 Comments

Rohan Nanda

24-Dec-2021 02:30 PM

Kahani to achchi h, dekhte hn age kya kand khulte

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Arshi khan

21-Dec-2021 05:10 PM

सच में बेहद इंट्रेस्टिंग कहानी बुनी है आपने, इंतजार करना मुश्किल होता है, इसीलिए एक बार में ही पढ़ते आकर लेकिन आज भी इंतजार करना पड़ेगा अगले पार्ट का, बेहद खूबसूरत स्टोरी..

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