Rajani katare

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ज़िन्दगी

" जिंदगी " 

अन्तर्मन की पीड़ा को, 
समाहित कर, 
नव पल्लवित, 
आम्र तरु, 
नव जीवन की, 
श्रृंखला का, 
ये सोपान लिए, 
धरा पर, 
उतर आया, 
प्रफुल्लित हो, 
अपनी पहचान लिए  ।

      काव्य रचना -रजनी कटारे 
             जबलपुर (म. प्र.)

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3 Comments

Shrishti pandey

25-Dec-2021 09:02 AM

Nice

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Abhinav ji

24-Dec-2021 11:06 PM

Beautifull

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Swati chourasia

24-Dec-2021 08:12 PM

Very nice 👌

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