ज़िन्दगी

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" जिंदगी "  अन्तर्मन की पीड़ा को,  समाहित कर,  नव पल्लवित,  आम्र तरु,  नव जीवन की,  श्रृंखला का,  ये सोपान लिए,  धरा पर,  उतर आया,  प्रफुल्लित हो,  अपनी पहचान लिए  । ...

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