जुदाई अपनों की
जुदाई अपनों की
जुदा हो गए जो असमय हमसे,
याद उनकी बहुत आती है।
बातें उनकी दिल में रहतीं।
आँखो में तस्वीर तैर जाती है।
क्षण भंगुर इस जीवन में
नहीं भरोसा साँसों का।
किस घड़ी ये साथ छोड़ दें,
उड़ा के खिल्ली सभी प्रयासों का।
जुदाई उनकी दिल तड़पाये,
जीवन को सूना कर दे।
आ जाते यदि वे कहीं से।
मन में ये भावना भर दे।
जीवन की ये सच्चाई है।
जन्म मरण का बंधन ,
पर असमय किसी के चले जाने से,
दिल में होता अतिशय क्रंदन।
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
5?1/22
Punam verma
06-Jan-2022 11:18 PM
Nice
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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
06-Jan-2022 12:47 PM
Sundar
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Shrishti pandey
06-Jan-2022 09:24 AM
Nice
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