Rhyme

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कलम

कलम- 
बेजुबान की जुबान हो तुम,
बेहसाय कि सहारा हो तुम,
निर्दोष की हिम्मत हो तुम,
लेखक की शान हो तुम।
तुम ही तो,
कागज को नया रूप देती हो।
तुम ही तो ,
कागज को अपनी स्याही से सजाती है।
कलम और स्याही कि यह तुम्हारी जोड़ी,
खूब हमको है  बाती ।
ऐसे ही लेखक की साथी बनी रहो,
हम सबकी शान तो तुम ही हो।

-- Rhyme Nigam "Shaivalika"

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2 Comments

Aliya khan

02-Jun-2021 05:28 PM

बेहतरीन 😍😍

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Apeksha Mittal

02-Jun-2021 05:17 PM

Bohut achcha likha apne

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