बेहिसाब हसरतें
हसरतें बेहिसाब थी कि आसमान छोटा पड़ गया,
कुछ हो गईं पूरी, कुछ रह गई अधूरी।
कईयों ने कहा, हसरतें थोड़ी कम कर दो।
इतना भी क्या गुरूर है?
मैंने भी कहा,
एक ही जीवन है, बड़ी मुश्किल से मिला है।
ना जाने साँसे कब बिस्तर उठाए और चल दे
क्यों ना इससे पहले , जी भर के जी लूँ मैं।
अधूरी रह गई हसरतों के लिए,
मैं एक नया आसमाँ बनाऊंगी।
मेरा वादा है खुद से,
मैं मरने से पहले शानदार जीवन जीकर जाऊंगी।
कुछ भी अधूरा नहीं छूटेगा,
ना मेरा मन, ना मेरी जिंदगी।
मरते समय मैं संतृप्त मुस्कान लिये,
अपनी नयी यात्रा की ओर कदम बढ़ाऊंगी।
❤सोनिया जाधव
#लेखनी प्रतियोगिता
Gunjan Kamal
23-Jan-2022 08:46 PM
वाह मैम बहुत खूब👏👏👏👌👌👌🙏🏻
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Niraj Pandey
23-Jan-2022 07:32 PM
बहुत खूब
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Swati chourasia
23-Jan-2022 07:05 PM
Very beautiful 👌👌
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