विनती

विनती

समझ न आए क्यूं करूं मैं विनती
सुना है ईश्वर सब है जानता 
हमको अपनी संतान है मानता 
मन में क्या है सबके पहचानता
फिर विनती करना क्यूं है जरूरी
खुद ही खुद को बताना ये कैसी मजबूरी।

बसा है वो मेरे रोम रोम में
वही बसा सारे व्योम में
धरती में भी उसका ही वास
उसके ही इशारे पर तो चलती मेरी श्वास
जब कण कण में है वो समाया
उसी का रूप तो हर वस्तु ने पाया
फिर खुद से खुद के लिए क्यों खुद कुछ मांगना।

ये बात मुझे तो समझ न आए
आप समझते हो तो मुझे भी समझाएं
क्या हमारी और उसकी कोई दूरी है
अगर नहीं तो फिर मांगना क्यों जरूरी है
बिना मांगे ही उसने कितना कुछ तो दिया है
उसी की कृपा से संसार में हर कोई जिया है
इसलिए मांग कर खुद को खुद ही मत गिराइए
उसकी इच्छा के आगे बस नतमस्तक हो जाइए।

आभार – नवीन पहल – २५.०१.२०२२ 🎉🌹❤️❤️
# प्रतियोगिता हेतु



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8 Comments

Sudhanshu pabdey

26-Jan-2022 12:11 PM

Very nice

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Shrishti pandey

26-Jan-2022 09:23 AM

Very nice

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Abhinav ji

26-Jan-2022 08:57 AM

Very nice sir

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