हमदर्द
हमदर्द
ज़माने में इंसान तो मिले बहुत
ऐसा न था कोई जो समझे दर्द
खुशियों में संग थे मित्र बेशुमार
विपत्ति समय सब बन बैठे बेदर्द।
अचानक आया एक राजकुमार
साथ में लाया बड़ा अतरंगी प्यार
नवजीवन में खुशियाँ आईं अपार
हमसफ़र बन जोड़ा दिल का तार।
कभी करे झगड़ा कभी तकरार
कभी देता मुझ पर खुशियाँ वार
बना वो मेरे सुख-दुःख का आधार
समझ आया मुझे जीवन का सार।
विधाता ने जीवन साथी है बनाया
जिसने हर स्थिति में साथ निभाया
भयंकर विपदा में हाथ न छुड़ाया
ज़िंदगी का सफर सुहाना बनाया।
बाँटा उससे मैंने दिल का हर दर्द
खुदगर्ज़ दुनिया में वो बना हमदर्द
मेरे दर्दभरे दिल पर डाली ऐसी गर्द
लू के थपेड़े महसूस होने लगे सर्द।
डॉ. अर्पिता अग्रवाल
नोएडा, उत्तरप्रदेश
Zakirhusain Abbas Chougule
02-Feb-2022 12:02 AM
Masha Allah bahut khoob
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Swati chourasia
01-Feb-2022 08:28 PM
Very beautiful 👌
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Ayaansh Goyal
01-Feb-2022 08:24 PM
Nice
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