Fasle
फ़ासले दरमियाँ हो गये,
वज्द में दुशमनां हो गये।
जाने वह कौन सी बात थी,
जिससे वह बदगुमां हो गये।
अहद-व-पैमान जितने भी थे
जैसे आतश-फ़शां हो गये।
ज़ीस्त की वज्ह जो थे कभी,
अब वही दर्द-ए-जां हो गये।
ख्वाब जितने भी अब तलक,
सब के सब दास्तां हो गये।
वस्ल-ए-मै पा गये, ज़िन्दगी-
मौत से बे-गुमां हो गये।
'मैक' की मैकशी क्या कहें,
मैकदे की अमां हो गये।
@makallahabadi..
Manzar Ansari
02-Feb-2022 11:42 AM
Nice
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