Aalhadini

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श्यामा

कभी तो सुन ले साँवरिया,

 मेरे हृदय की करुण पुकार, 

मेरा जीवन, प्राण, प्रण,

तू ही मुक्ति का आधार। 


कभी तो सुन ले साँवरिया

मेरे हृदय की करुण पुकार, 


बावरी बन बन डोलूं मैं,

बस श्याम श्याम ही बोलूँ मैं,

जहां तेरा दरस नहीं, 

वहाँ नैना नाही खोलूं मैं।


मयूर ही बन जाऊँ मैं, 

पिय कहाँ यही चिल्लाऊं मैं,

 जहाँ तेरी बंसी धुन नहीं,

वहां प्रीत कहाँ से लाऊँ मैं।


घटा बन गहराऊं मैं, 

मेरे कृष्ण पर बरसाऊं मैं,

जहाँ तेरी मुस्कान नहीं,

वहाँ गीत प्रेम के ना गाऊं मैं। 


श्यामा ही हो जाऊँ मैं,

श्याम में ही खो जाऊँ मैं,

श्याम तेरे प्रेम में,

श्यामेश्वरी कहाऊँ मैं।


श्याम में ही रम जाऊं मैं,

श्यामल ही रंग जाऊं मैं, 

श्याम श्याम दोहराऊं मैं,

श्याममयी हो जाऊं मैं।

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16 Comments

Aman Mishra

14-Jun-2021 11:40 AM

बहुत बढ़िया दी😊🙏

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Aalhadini

16-Jun-2021 02:32 PM

धन्यवाद 🙏

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Aalhadini

12-Jun-2021 07:11 PM

धन्यवाद मात्रा भार नही पता बस भाव है 🙏🙏

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श्याम श्याम दोहराएं मैं.... 👌👌 बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ 👌👌

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