Sonia Jadhav

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वार्षिक प्रतियोगिता- लेख- मोबाइल का मायाजाल

मोबाइल का मायाजाल

आज के युग में जीने के लिए जितनी ऑक्सीजन जरुरी है, उतना ही मोबाइल भी जरुरी है। जैसे ऑक्सीजन की कमी होने के कारण दम घुटने लगता है, साँस लेने में तकलीफ होने लगती है, चिड़चिड़ाहट बढ़ जाती है, ठीक ऐसे ही तब होता है जब आपने सुबह से मोबाइल के दर्शन न किए हों, उसकी छुअन को अपने हाथों में महसूस न किया हो और सबसे ज्यादा मुसीबत की घड़ी तो तब आन पड़ती है अगर आपका मोबाइल खो गया हो या फिर टूट गया हो। ऐसी स्थिति में तो लगता है जैसे पूरी दुनिया ही लुट गयी हो। फिर बजट हो या न हो, कैसे भी करके व्यक्ति मोबाइल खरीद ही लेता है।

आइये मोबाइल के मायाजाल को समझने से पहले यह समझने की कोशिश करते हैं, आखिर मोबाइल इतना जरुरी क्यों हो गया है हमारे लिए। आजकल सब काम मोबाइल पर ही होते हैं..... पैसों के लेने देन से लेकर मनोरंजन, आपसी बातचीत, शॉपिंग और व्यापार, शिक्षा, इलाज और हाँ, प्यार भी मोबाइल पर ही परवान चढ़ता है। इतना काम तो बीवी भी नहीं करती या फिर पति भी नहीं करते आपके लिए जितना मोबाइल करता है।

चलिये एक घर के माध्यम से मोबाइल के मायाजाल को समझने की कोशिश करते हैं।

बैडरूम में मोबाइल पर सेट किया अलार्म आपको सुबह उठाता है। आँख खुलते ही आप नोटिफिकेशन देखकर व्हाट्सएप्प सन्देश और मेल पर एक सरसरी नज़र घुमा लेते हैं। पत्नियां रसोई में काम करते-करते अपने मनपसन्द वीडियो देखती रहती हैं ताकि काम में मन लगा रहे और बाद में वीडियो देखने के लिए अलग से समय न निकालना पड़े। कई पति वॉशरूम में मोबाइल पर जरुरी मेल पढ़ते हुए अपने निजी काम निपटाते हैं।

फिर चाहे आप नाश्ता कर रहे हो या फिर ड्राइविंग, मोबाइल पर बातचीत चालू रहती है। बच्चों को खाना खिलाने के लिए और अगर आप अपना जरुरी काम कर रहे हो और बच्चा परेशान कर रहा हो, ऐसे समय में भी मोबाइल बहुत काम आता है।

ऑफिस से घर आते ही आप सबसे पहले अपना मोबाइल चेक करते हैं। परिवार के साथ वक़्त बिताने से अच्छा मोबाइल के साथ समय बिताना अच्छा लगता है। जब बड़े लिप्त रहेंगे मोबाइल में तो, बच्चों का तो इससे अछूता रहना असंभव सा है। बच्चे बाहर खेलने जाने के बजाय वीडियो गेम खेलना पसंद करते हैं। रात के 12 बजे तक वीडियो गेम खेलते रहते हैं और अगर आप मना करो तो आपसे चिढ़ने लगते हैं और उल्टा जवाब देते हैं।

मोबाइल आपका इतना समय ले लेता है कि आपको अपने ही परिवार के साथ समय बिताने के लिए वक़्त नहीं मिलता, जिसके कारण आपसी रिश्तों में तनाव महसूस होने लगता है।

देखिये पहली बात तो मोबाइल आप इस्तेमाल करते हैं, वो आपको नहीं, तो इसका मतलब मोबाइल का नियंत्रण आपके हाथ में है। दूसरी बात मोबाइल कोई बुरी चीज नहीं है, आपको इसका उपयोग कब, कितना और किन कामों के लिए करना है यह आपके हाथ में है। मोबाइल को लत मत बनने दीजिये न आपकी, न आपके बच्चों की। इस मायाजाल से निकलना उतना मुश्किल भी नहीं है, जितना लगता है। मोबाइल की दुनिया और अपनी निजी दुनिया में संतुलन बनाना सीखिये। मोबाइल को नहीं, खुद को , अपने परिवार को वक़्त दीजिये।

आजकल के समय में मोबाइल के बिना  गुजारा नहीं है चाहे फिर वो बच्चों के लिए हो या फिर बड़ों के लिए। अंत में बस इतना ही कहूँगी आप मोबाइल का नियंत्रण अपने हाथ में रखिये, न कि खुद को मोबाइल के हवाले कर दीजिये।

❤सोनिया जाधव

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4 Comments

Swati Sharma

10-Mar-2022 11:56 AM

बहुत खूब

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Apka ye lekh bahut kam shbdo me hum sabki jindgiyon k bare me bahut kuch bta rha aur samadhan bhi de rha... Aur padhe time hasa raha wo alg😂😂 apka ye lekh gyanvardhak k sath hasya se bhi purn hai🤣🤣 grt mam👏👏

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NEELAM GUPTA

18-Feb-2022 10:52 AM

बिल्कुल सही कहा आपने

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